God has given us two hands, one to receive with & the other to give with. Make use of both!

About

Myself BK Milakh Raj Sandha residing at Hisar,  Haryana,  India . I took birth in 1955 and I  am bachelor. I am Commerce Graduate. I also obtained degree of M.Sc. in spritual education through distance education .

Our Aims And Objectives

  • Mind control through meditation.
  • Mind control by positive thinking .
  • Use of meditation in daily life.
  • To invent secrets of life,  death and God.

Antrik Bal

आंतरिक बल 726

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  • बच्चे और व्यवहार
  • बच्चे एक बेल के पौधे के समान है ।
  • बेल की जितनी देखभाल की जाती है वह उतनी ही फलती फूलती है और उसी दिशा में बढ़ती जाती है जिस दिशा में उसे बढ़ाना चाहते है ।
  • धन दौलत व अन्य साधन विश्व के सभी लोगो के पास भिन्न भिन्न है ।

आंतरिक बल 725

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  • ऑफीस और व्यवहार |
  • आफिस में हर बात पर उलझना ठीक नहीं ।
  • कुछ बाते आप को बुरी लग सकती है ।
  • उन्हे लेकर बेवजह लड़े झगड़े नहीं ।

आंतरिक बल -724

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  • बास द्वारा इमोशनल अत्याचार और व्यवहार |
  • जब बॉस सदा ही नीचा दिखाने का प्रयास करता है और उस से परेशान हो कर आप नौकरी छोड़ देते है तो यह इमोशनल अत्याचार है |
  • ये परिस्थिति तब बनती है जब हम बॉस के साथ किसी विषय पर ऊंची आवाज में बात करते है तो वह चिढ़ जाता है, वह समझता है क़ि आप ने उसकी बेजती की है ।
  • इसलिए वह अत्याचार पर उतर आता है ।

आंतरिक बल -723

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  • इमोशनल अत्याचार और व्यवहार |
  • किसी व्यक्ति अथवा प्राणी पर निर्दयतापूर्वक किए गये उत्पीड़न के व्यवहार को अत्याचार कहते हैँ ।
  • संस्था में या घर के लोग कहे क़ि आप कोई भी काम सही नहीं करते हो, ऐसा लगता है कि तुम्हारे पास दिमाग है ही नहीं ।
  • तुम्हारा मलिक अगर कहता है क़ि आप को केवल काम बिगाड़ना आता है और कुछ आता-जाता नहीं है ।

आंतरिक बल -722

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  • अत्याचार और व्यवहार
  • जब कोई अत्याचार करता है, जुल्म करता है,अपनी शक्तियो का दरुपयोग करता है, पैसा कमाने के लिये गलत रास्ते अपनाते हैँ तो जो व्यक्ति इस से प्राभावित होते हैँ |
  • वह नाराज हो जाते हैँ और मन ही मन बद दुआए देते हैँ ।
  • लोगो की इस नाराजगी के कारण व्यक्ति का मन कमजोर हो जाता है जिस से वह छोटी छोटी घटनाओ पर आवेश में आ जाएगा |

आंतरिक बल -721

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  • नाराजगी और व्यवहार |
  • नाराज़गी पालना ऐसा है मानो एक व्यक्‍ति खुद के गाल पर तमाचा मारता है |
  • परिवार के जिस सदस्य से आपकी नाराज़गी है, उस व्यक्‍ति को शायद आपकी नाराज़गी के बारे में पता ही न हो ।
  • किसी के शब्दो और कार्यो की अपेक्षा नाराज़गी पालने से हमें ज़्यादा चोट पहुँचती है ।
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