आंतरिक बल -752

– होनी अनहोनी

-अनहोनी यानी कि अनपेक्षित, अकस्मात् होने वाली घटना  ।

– क्या  हम अमुक घटना को रोक सकते थे?

-हम साधारण मानव  दृष्टि से बहुत से उपाय बताते है कि ऐसा करने से अमुक घटना रुक सकती थी ।

-व्यवहारिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं होता,  घटना घटित होकर ही रहती है यानी होनी होकर ही रहती है ।

-क्या हम भूकम्प को रोक सकते थे  ?

-आखिर ये सब होता कैसे है?

– भौतिकी के अनुसार हर पदार्थ का एक प्रति पदार्थ होता है ।

-. इसी प्रकार भौतिक जगत का भी एक प्रति पदार्थ सूक्ष्म जगत है ।

-. भौतिक जगत  क़ी गति बहुत धीमी है  और  सूक्ष्म  जगत क़ी  गति बहुत तेज है ।

– सूक्ष्म जगत में  होने वाली हर घटना का बिम्ब भौतिक जगत पर पड़ता है।

-पूर्वाभास, छठी इन्द्रिय, भविष्य कथन आदि सब का आधार सूक्ष्म जगत ही है ।

-जो सूक्ष्म जगत तक अपनी पहुँच बना लेते है वो ये सब कर सकते है । हम वहां जाकर देख सकते है कि क्या होने वाला है ।

– भविष्यवाणी का आधार सूक्ष्म तक पहुँच जाना ही है ।

– पूर्वाभास हमें सूक्ष्म तरंगो से होता है।

-यदि हमारा मष्तिष्क परिष्कृत है तो हम थोड़े प्रयास से ही पूर्वाभास में निपुण हो सकते है।

-छठी इन्द्रिय या तीसरी आँख का भी यही सिद्धांत है ।

-हमारी हर चीज़ चाहे वो जीवन हो, मरण हो, स्वास्थ्य हो या खाना पीना, मोटे तौर पर सब पूर्व निर्धारित है और उसी के अनुसार हम यहाँ जीवन भोगते है 1 इस पर आगे चिंतन  करेंगे ।

– फिलहाल यह समझो क़ि सूक्ष्म जगत हमारे भविष्य की खिड़की है ।हम उसे बदल नहीं सकते केवल हम आने वाली घटना या दुर्घटना के लिए खुद को मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार कर सकते है।

– मृत्यु उपरांत वैसे भी  हमें सूक्ष्म लोक में ही  जाना है ।

– सूक्ष्म शक्ति शाली है और   अपार संभावनाओं का क्षेत्र है ।  समय और दूरी की सीमाओं से परे है ।  . उसकी शक्ति अपार है ।  देश, काल, परिस्थति, मौसम आदि सबसे परे है ।  अपदार्थ होने के कारण  इसके आगे कोई बाधा नहीं है ।

-ये एक रहस्य  है ताकि कोई इसका दुरूपयोग न कर सके ।

-इसे समझने के लिये हमें दृढ़ इच्छा शक्ति  क़ी  जरूरत है  ।

– जब तक  हमें किसी चीज़  के महत्व का अनुभव नहीं होता तब तक  हमारा शरीर और दिमाग उसे करने के लिए कभी तैयार नहीं होता ।

–  सूक्ष्म जगत  का विज्ञान  जीवन को नई दिशा दे सकता है ।

-ये आपकी सोच   और आपका जीवन बदल सकता है ।

– भौतिक जगत की चका चौंध हमें इस बारे में सोचने नहीं देती लेकिन अंततः हमें उसी सूक्ष्म में जाना है तो क्यों न थोड़ी पहले से तयारी कर ली जाए ।

–  हमें हर शुभ और अशुभ के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार रहना चाहिए ।  कष्ट उन्ही लोगों को ज्यादा होता है जो इसके लिए तैयार नहीं होते 1

– हम यही सोचते हैं  क़ि  हमारे साथ हमेशा अच्छा ही होगा  ।

-जिन लोगों के साथ अशुभ हो रहा है वो भी ऐसा ही सोचते थे ।
[11:58 AM, 1/10/2019] Milakh Raj Sandha: आन्तरिक बल 130

– मानसिक शक्ति

-स्थूल उर्जा विद्युत, चुम्बक,  गर्मी, प्रकाश के रुप में देखी जाती है ।

-इन  शक्तियों का उत्पादन कहीं और होता है।

-तेल  डाल  देने से पानी की सतह पर फैल जाता है ।

-थोड़ा  सा ज़हर सारे शरीर में फैल जाता है ।

-ऐसे ही शांति और  प्रेम के शब्द जब हम मन में रिपीट करते है तो वह शरीर की हर कोशिका तथा  ईथर द्वारा पूरे ब्रह्माण्ड में फैल जाते  है ।

-यह शब्द अच्छाई से टकरा टकरा कर शक्तिशाली  बन जाते है जैसे जंगल में माचिस की तीली से निकली आग प्रचंड रुप ले लेती है ।

-शांति और प्रेम दूसरे व्यक्तियों एवम प्रकृति के परमाणुओं को बदलती  है ।

-संगीत का शरीर व  मानसिक स्वस्थ्य पर प्रभाव पड़ता  है ।

–ऐसे ही शांति, प्रेम तथा  सकारात्मक संकल्प एक संगीत की तरह प्रभाव डालते है ।

-ध्वनि यंत्र इसी  नियम पर बनाये गये है ।

-अग्नि शक्ति का केन्द्र है । इस से भोजन बनता है, कारखाने चलते है, बारूद बनता है । अग्नि ही जीवन है ।

-ऐसे सकरात्मक शब्द से अनंत गर्मी पैदा होती है जो बुराइयों को , बुरी  वृत्तियों को, बुरे संस्कारो  को नष्ट कर देती है ।

-भौतिक विज्ञान बाहरी जगत को प्रभावित करता है । आध्यात्मिक विज्ञान आन्तरिक क्षेत्र को प्रभावित करता है ।

– भौतिक विज्ञान सुख  का उत्पादन करता है । आध्यात्मिक ज्ञान  अतिइन्द्रिय  सुख पैदा करता है ।

3 replies
  1. Rajesh bhai
    Rajesh bhai says:

    Om Shanti bhai ji, really you wrote very well & I daily read all Aantrikbal.Thanks Devine bro.Kindly provide all Chapter of antrikbal if you can in a Pdf

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