आंतरिक बल 730
-व्यवहार और परमात्मा
– जब जब अति धर्म की ग्लानि होती है तब तब परमपिता परमात्मा अवतार लेते है ।
-धर्म ग्लानि अर्थात आध्यात्मिक जीवन अंधकारमय बन जाता है ।
-अनेक प्रकार के कुसंस्कारों और अंधविश्वासों से मानव ग्रस्त हो जाता है ।
-लोगों का मनोबल समाप्त हो जाता है ।
– जब राजा लोग सिंह के समान हिंसक और चौधर के लालची हो जाते है ।
-उनके नौकर-चाकर लोगों का खून चूसते है । रक्षक ही भक्षक बन जाते हैँ ।
-धर्म पंख फैलाकर कहीं उड़ जाता है ।
-लोग शील, संयम तथा पवित्रता को तोड़ कर तामसिक भोजन खाने लगते हैं।
– शर्म और प्रतिष्ठा उठकर न जाने कहां चले जाते हैं!’
– बाहरी आडम्बरों और अर्थहीन आचारों के बोझ से लोग दब जाते हैँ ।
-धर्म के नाम पर ऐसी बातों के चक्कर में पड़ जाते हैँ जो अपना उद्देश्य ही भूल जाते हैँ ।
– सांस्कृतिक और धार्मिक संकट खड़ा हो जाता हैँ ।
-मनुष्य मंत्र, तंत्र जादू, टोना में फंस जाता है ।
-इस अंधकार को दूर करने के लिए भगवान अवतार लेते हैँ ।
-जब कोई विपति आती है या अनहोनी घटना घट जाती है ।
-कोई बच्चा बोरवेल में फंस जाता है ।
-जब कोई सुरंग में फंस जाता है ।
-जब कोई मलबे में दब जाता है ।
-जब कोई प्रकृतिक आपदा बाढ, तूफान या भूकम्प आता है तो सभी लोग भगवान को याद करते हैँ ।
-जब कोई व्यक्ति क्रोधी हो जाता है, लड़ाई झगड़े व मारपीट पर उतारू हो जाता है तो हम प्रार्थना करने लगते हैँ कि भगवान उसे सदबुद्वि दो ।
-जब कोई अच्छा कार्य शुरू करते हैँ तब भगवान को याद करते हैँ ।
-जब किसी की मृत्यु हो जाए तब भी भगवान को याद करते हैँ ।
-जीवन में दिन प्रतिदिन आने वाले विघ्नों व रोगो से छुटकारा पाने के लिये भी भगवान को याद करते है ।
-प्रत्येक मनुष्य जाने अनजाने किसी न किसी समय किसी न किसी रूप में भगवान को याद करता हैँ ।
-अगर भगवान को व्यवहार में शामिल कर ले तो मनुष्य जीवन में दुख रोग नहीं रहेगा ।
raj yoga जीवन को तेजी से आगे बडा ती है जिवन मे नऐ काम करने की शक्ती मिलती है thanks yoga
You are most welcome ji