प्रश्न – 1 : मेरा पढने में मन नहीं लगता मैं क्या करूं ?
उत्तर : जब हमारी पढने की आदत किन्ही आदतों से छुट जाती हैं तो हमारा पढने को मन नही करता ! हमे और और बातें याद आती रहती हैं !
- कई बार लोग हमे हतोत्साहित कर देते हैं की तुम ये नही क्र सकोगे ! तुम आईएएस नही बन सकोगे , यह बहुत मुश्किल होती हैं ! इसके लिए अंग्रेजी बहुत अच्छी होनी चाहिए !
- आप जो भी कुछ पढना चाहते हैं कुछ बनना चाहते हैं , सिर्फ मन में कहते रहा करो की मैं पढ़ता हूँ पढता हूँ ! दिन में जितनी बार हो सके इसको इसको मन में reapet करते रहना हैं ! आप इसको एक महिना दो महिना या एक साल दो साल मन में reapet करते रहो की मैं पढ़ता हूँ !
- एक दिन आप पढना शुरू कर देंगे !
प्रश्न – 2 : ‘ नहीं ‘ शब्द का प्रयोग कब करें ?
उतर : उस दोस्त को नहीं कहें जो सिर्फ गपछप करने के लिए काफी पर मिलना चाहता है ।
-उन रिश्तेदारों को नहीं कहें जो आप के सपनो पर हंसते हैं और आप को खुद पर शक पैदा करने के लिए बाध्य करते हैं ।
प्रश्न – 3 : खास क्या करें जो लक्ष्य क़ी ओर ले जाए ?
उत्तर : अगर तुम हर रोज एक विशाल पेड़ तक जाओ और बहुत तेज कुल्हाड़ी से पांच बार वार करो तॊ पेड़ चाहे जितना बड़ा हो, उसे एक दिन गिरना ही होगा ।
-इसलिए हर रोज पांच काम करो जो आप को लक्ष्य क़ी ओर ले जाएँ ।
-हर रोज सोचते रहो लक्ष्य प्राप्ति के लिये नया क्या करू ।
-सफल लोगों के साथ उठा बैठा करो । उनकी बुक्स पढ़ो । उनकी जीवनी पढ़ो ।
-असाधारण लोगों के संग रहने के लिये हर कीमत अदा कीजिए । परमात्मा असाधारण है उसे हर पल याद रखो ।
-साकारात्मक नजरिए वाले बनो । ऐसा बनने के लिये हर पल किसी ना किसी को मन से शांति और प्रेम क़ी तरंगे देते रहो ।
-कुछ लोग ऐसे होते है जिनसे मिलते ही या देखते ही वह आप क़ी ऊर्जा चूस लेते है । ऐसे लोगों के साथ समय बिताना बंद करो । इसके लिये हर रोज कुछ नया पढ़ोगे तॊ आप का दिमाग अपडेट रहेगा और ऊर्जा शोषक लोगों आए बच सकेगे ।
भिखारी
-हम सभी भिखारियों को भीख मांगते हुए देखते है ।
-कई तो हृष्ट पुष्ट होते है फिर भी भीख मांगते है ।
-ये सभी भी हमारी तरह मनुष्य है ।
-परन्तु किसी के कड़वे बोल, नफरत के बोल ने उन्हे भिखारी बना दिया है ।
-कई लोगो की आदत होती है कि वह अपने प्रिय और निर्भर लोगो को भिखारी भिखारी कह कर बुलाते रहते है ।
-हम न होते तो तुम भिखारी बनते ।
-काम के ना काज के वेरी अनाज के ।
-खासतौर पर स्नेही व्यक्तियों के बोल बहुत नुकसान दायी सिद्व होते है ।
-सिर्फ यह याद रखो कि जो भी मेरे संपर्क में आएगा, वह चाहे कितना भी न समझ हो, कमजोर हो, उसके प्रति न तो सोचूगा और न ही बोलूंगा कि तुम भिखारी हो या बनोगे ।
संकल्प और प्राप्ति
-हर संकल्प एक आवर्ती है, फ्रेक्वेन्सी है, तरंग है ।
-जिस पल आप उन्हे बोलते हैं, बोलते ही वह ब्रह्मांड में प्रसारित हो जाते हैं ।
-आकर्षण का नियम आप के प्रत्येक शब्द पर प्रतिक्रिया करता है ।
-जब आप मन में वीभत्स, भयानक या दर्दनाक जैसे शब्द सोचते व बोलते है ।
– तब आकर्षण का नियम प्रतिक्रिया करेगा और आप के जीवन में वैसे ही व्यक्ति और परिस्थितियां लाएगा ।
-यह नियम तटस्थ है, अटल है ।
-बस आप जिस आवर्ती पर होते है उसी से मेल खाता है ।
-आप सिर्फ मनचाही चीजो के बारे ही प्रबल रूप से सोचें और बोले ।
-अनचाही चीजो के बारे में शक्तिशाली शब्दो का प्रयोग न करें ।
प्रश्न : विचारो से कैसे बचें ?
उत्तर : प्रत्येक व्यक्ति नकारात्मक विचारो को छोड़ना चाहता है ।
-आप तो बस इतना करें कि हर दिन केवल अच्छे विचारो को ही अपने मन में जगह देना शुरू कर दें ।
-कुछ समझ न आये तो मन में कहते रहें अच्छा, सुन्दर, बढ़िया, बेस्ट, लाजवाब, चुस्त, शक्तिशाली, कल्याणकारी, दयालु ….. ऐसे जितने भी शब्द याद कर सको करते रहना।
-ये शुद्व विचार एक एक बीज है ।
-हर दिन जितने ज्यादा अच्छे विचारो के बीज बो सके बो दें ।
-जब आप अच्छे विचार सोचना शुरू कर देते है तो अधिक से अधिक अच्छे विचारो को आकर्षित करने लगते हैं ।
-अच्छे विचार अंततः नकारात्मक विचारो को पूरी तरह मिटा देंगे
-जब इंसान का मन शुद्ध है तो उसके आसपास का महौल भी शुद्व बन जाता है ।
प्रश्न – 32 : मैं लेखक बनना चाहता हूं, परन्तु लिख नहीं पाता । क्या करूं ?
उतर : एक शब्द मन में दोहराते रहो मैं लिखता हूं, लिखता हूं ।
-सुबह, दोपहर और शाम को जब भी लिखने को मन तो करें परन्तु साथ ही शुरुआत करने की आलस्य आए तो तुरंत मन में कहना है मैं लिखता हूं लिखता हूं ।
-ऐसा आप को हर रोज करना ही है चाहे एक साल लग जाये । आप एक दिन लिखना शुरू कर देंगे ।
-ऐसे ही आप गायक बनना चाहते है तो ये वाक्य कि मैं गाता हूं, गाता हूं, रिपीट करते रहो ।
-आप योगी बनना चाहते हैं तो मन में रिपीट करते रहो मैं योगी हूं योगी हूं । आप का योग लगने लगेगा ।
-चित्रकार बनना चाहते हैं तो मन में रिपीट करते रहो चित्र बनाता हूं बनाता हूं ।
-अगर कोई और लक्ष्य हैं उसे मन में निरंतर रिपीट करते रहो ।
प्रश्न – 33 : असंभव को संभव कैसे बनाये ?
उतर : निम्न में से कोई एक शब्द मन में सदा याद रखें । उसी अनुसार प्रतिक्रिया करें । आप असंभव कार्य भी कर जाएंगे ।
-चैलेन्ज
-शान्ति
-प्यार
-दया
-सहयोग
– गर्मजोशी
-आत्मविश्वास
-लचीलापन
-सामर्थ्य
-प्रशंसा
-आभार
-दृढ़ संकल्प
-उत्सुकता
-भगवान मेरे साथ है मेरे आगे कोई विघ्न ठहर नहीं सकता ।
-कोई अन्य कल्याणकारी शब्द
-इन्हे प्रार्थना की तरह दोहराते रहे और सोचते रहें ।
प्रश्न – 34 : असंभव को संभव कैसे बनाएँ ?
उतर : असंभव को संभव करने के लिए याद रखें ।
-ज्ञान ही शक्ति है
-knowledge is power
-अगर आप विश्व में असंभव को संभव करना चाहते है तो हर रोज एक नई बुक पढ़े ।
-अगर आप देश में असंभव को संभव बनाना चाहते हैं तो तीन नई पुस्तके हर महीने पढ़ो ।
-अगर आप राज्य में असंभव को संभव बनाना चाहते हैं तो दो नई पुस्तके हर मास पढें।
-अगर आप जिले में असंभव को संभव बनाना चाहते हैं तो दो नई पुस्तके हर माह पढें।
-अगर आप अपने विभाग में या कार्यस्थल या घर में असंभव को संभव बनाना चाहते हैं तो माह एक नई पुस्तक पढें ।
प्रश्न – 35 : असंभव को संभव बनाने लिए आखिरी निर्णय बदलो ।
उतर : जब भी कोई समस्या आती है या कोई दुर्व्यवहार करता है तो आखिरी फेसला अच्छा लिया करो ।
-मन कहेगा अब मरूंगा, आप ने सोचना हैं जियूगा ।
-मन कहेगा अब हार तय है , आप ने सोचना है जीतूंगा ।
-मन कहेगा अब हमारी नहीं बनेगी, आप ने सोचना है हमारी बन जाएगी ।
-मन कहेगा यह अपमान है, आप ने सोचना है यह मेरा सम्मान करेगा ।
-मन कहेगा तू कमजोर है, आप ने सोचना है मैं शक्तिशाली हूं ।
प्रश्न – 36 : असंभव को संभव करने लिए सही कमेंट दें, कैसे करें ?
उतर : हम सभी सुबह से लेकर सोते समय तक किसी न किसी व्यक्ति से मिलते रहते हैं
-हम किसी भी व्यक्ति को देखते है, देखते ही उसके बारे कुछ ना कुछ मन में कमेंट करते है ।
-यह अहंकारी दिखता है ।
-यह क्रोधी दिखता है ।
-यह मूर्ख दिखता है ।
-यह दुखी दिखता है ।
-यह निराश दिखता है ।
-यह गरीब है ।
-यह बदसूरत है
-विपरीत लिंग की तरफ भी बुरा बुरा सोचते है ।
-इसी तरह कोई भी अन्य नकरात्मक कमेंट ।
-ये असंभव मनोवृति है ।
-असंभव मनोवृति को बदलने के लिए दूसरों के प्रति अच्छे संकल्प करने है, वह चाहे कैसा भी हो ।आप ने उसके प्रति अच्छा कमेंट मन में करना है । जैसे –
-यह निर अहंकारी बनेगा
-यह स्नेही है
-समझदार है
-सुखी है
-खुश है
-साहूकार है
-सुन्दर है
-बहिन है, भाई है
-ऐसे ही और जो आप को अच्छा लगे वह सकारात्मक कमेंट करना ही है
-अगर यह नहीं करेंगे तो आप की सूक्ष्म शक्ति नष्ट होती रहेगी । आप मनचाहे लक्ष्य से भटक जाएंगे ।
प्रश्न – 37 : किसी को बार बार मुर्ख क्यों नही कहना चाहिए ?
उत्तर : यदि कोई पिता अपने बच्चे को अक्सर ” मूर्ख ” कह कर पुकारता है, तो
-धीरे धीरे पिता उसे वाकई मंदबुद्धि मानने लगेगा ।
-इस से भी बुरी बात यह है कि बच्चा भी अपने बारे में ऐसा ही सोच सकता है ।
-इसलिए अपने बच्चो, अपने स्नेही, अपने पर निर्भर लोगो के प्रति और अगर आप मुखिया है तो अपने अधीनस्थ लोगो के प्रति ऐसे नकारात्मक शब्द कभी भूल कर भी प्रयोग नहीं करने ।
-तुम शानदार हो यह भाव मन में रख कर अच्छे संबोधन किया करो ।
-तुम्हे बहुत सम्मान मिलेगा ।
प्रश्न – 38 : नकारात्मक टिपणियों के क्या प्रभाव पड़ते ?
उत्तर : अक्सर अभिभावक अपने बच्चो को कहते रहते है
-तुम किसी काम के नहीं हो ।
-तुम कोई काम ठीक से नहीं कर सकते ।
-तुम्हे बनाते समय भगवान तुम्हे दिमाग देना भूल गये थे ।
-इतने कम नंबरों के साथ तुम गधा साबित होगे ।
-तुम्हरा कुत्ता तुम से ज्यादा समझदार है ।
-तुम बहुत शैतान हो ।
-आप बच्चे को जैसा कहेंगे वह वैसा ही हो जाएगा ।
-अपने प्रिय व्यक्तियों को भी यह कमेंट नहीं देने ।
-हमेशा अच्छे वाक्य बोलो और सोचो नहीं तो आप भी अपने बोल अनुसार बन जाएंगे ।
-बुरे कमेंट से आप को कोई प्यार नहीं करेगा । आप का योग भी नहीं लगेगा ।
प्रश्न – 30 : आदतें कैसे बदलें ?
उत्तर : प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी बुरी आदत का गुलाम है । इन्हे कैसे छोड़े ?
-सुबह उठा नहीं जाता ।
-दिन में कई बार कहो मैं कल सुबह 4 बजे उठूँगा । उठूँगा ।
-आप नहीं उठ सके, देर से उठे, उठते ही कहना है कल जरूर उठूँगा ।
-दिन में जब भी विचार आये उठना मुश्किल है, तुरंत उस विचार को बदल दें और कहें कल जरूर समय पर उठूँगा ।
-इस शब्द को दोहराते रहो उठूँगा उठूँगा ।
-एक दिन में आप सचमुच समय पर उठने लग जाएंगे ।
प्रश्न – 31 : मैं हर जगह लेट पहुंचता हू ? इस से छुटकारा कैसे पाए ?
उत्तर : कई व्यक्तियों की आदत होती है वह सभी जगह लेट ही पहुचते है ।
-जिस समय पहुचना है, वहां पहुचने में कितना समय लगता है । मान लो 10 मिनिट लगते है ।
-उस में ट्रेफिक जाम के लिए 20 मिनिट ऐड कर दो ।
-आप आधा घंटा अपने तैयार होने के लिए लगा लो ।
-जहां जाना है उस समय से एक घंटा पहले तैयारी शुरू कर दें आप सही समय पर पहुंचेंगे ।
-हम सोचते है 5 मिनिट में तैयार हो कर गाड़ी से पहुच जाएंगे । परन्तु रास्ते की रुकावटें ऐसा होने नहीं देती ।
-कई व्यक्ति आलस्य वश लेट हो जाते है ।
-मन में रिपीट करते रहा करो मैं हर रोज हर अवसर पर समय से पहुचुगा ।
-मैं कल से 5 मिनिट पहले पहुचुगा ।
-लोगो के सामने समय पर पहुचने का प्रण करो ।
प्रश्न – 26 : मेरे विवाहित जीवन में बहुत कष्ट है । मैं अति प्रभावशाली कैसे बन सकता/सकती हूँ?
उत्तर : कोई भी कष्ट है उसका मूल कारण है, कमजोरी ।
-तन की कमजोरी या मन की कमजोरी ।
-कभी यह न सोचें की यह आप का हिसाब किताब है या आप के कोई पाप कर्म है ।
-कष्ट का मतलब है प्यार की कमी ।
-जिन लोगो को आप से प्यार करना चाहिए वह लोग आप को प्यार नहीं कर रहे हैं ।
-आप को अपना स्वभाव ऐसा बनाना होगा जो सकारात्मक विचार उत्पन्न हो ।
-नकरात्मक विचारो से बचे ।
-हर समय स्नेही या ऐसे लोग जिनका हमारे से कुछ लेना देना नहीं है परन्तु वह जानते है । उनको मन से कहते रहो आप स्नेही है । ऐसा करने से आप को स्नेह मिलने लगेगा।
– तन और मन की कमजोरी दूर करने लिए संबंधित बुक्स पढ़ो ।
-जितना ज्यादा कष्ट उतना ही ज्यादा पढ़े ।
प्रश्न – 28 : मैं कोई भी काम मरे मन से करता/करती हूं । काम टालने की कोशिश रहती है ? मैं लगन से कार्य कैसे करू ?
उतर : आप डाकिए हैं, नाई हैं, बीमा एजेंट हैं, ग्रहणी हैं, विद्यार्थी है, कर्मचारी हैं या योगी हैं ।
-जब तक आप महसूस करते हैं कि आप दूसरों की सेवा कर रहें हैं तब तक आप काम बहुत अच्छी तरह करते हैं ।
-जब आप सिर्फ अपनी मदद करने के लिए कार्य करते हैं तो आप काम को कम अच्छी तरह से करते हैं ।
-मंदिर में महिलाए सारा दिन लंगर बनाती हैं तो वह बहुत खुश रहती हैं, शाम को घर की रोटी बनाते समय उन्हे सिरदर्द हो जाता है ।
-सेवा का नियम उतना ही अटल है जितना गुरुत्वाकर्षण का नियम ।
-इसलिए प्रत्येक कार्य करते हुए मंसा सेवा करते रहो तो आप में कार्य के प्रति उत्साह बना रहेगा । आप सभी कार्य खुशी खुशी करेंगे ।
प्रश्न – 29 : सदा एनर्जीवान कैसे रहें ?
उत्तर : चाहे परिस्थिति कैसी भी हो –
-मन में शिव बाबा या इष्ट को देखते रहें ।
-चन्द्रमा या सूर्य को देखते रहें
-सागर को या पेड़ पौधो को देखते रहें
-मन में फूल देखते रहें
-मन में कहते रहें शांत शांत ..
-आप में एनेरजी हिलोरे लेती रहेगी
-विज्ञान यह है जिसे आप मन में देख रहें है उसी से एनेर्जी खींच रहें है
चाहे परिस्थिति कैसी भी हो –
-मन में शिव बाबा या इष्ट को देखते रहें ।
-किसी स्नेही व्यक्ति को मन में देखते रहें ।
-छोटे बच्चो को मन में देखते रहें ।
-किसी खेल में खेलते हुए खिलाड़ी / खिलाड़ियों को देखते रहें जो बहुत फुर्तीले हैं ।
-किसी योगी को मन में देखते रहें ।
-अपना संपन्न स्वरूप देखते रहें ।
-व्यक्ति और अपने बीच भगवान के बिन्दू रूप को देखते हुए मन में कहते रहें आप शान्ति के सागर हैं, शान्ति के सागर हैं ।
-आप में एनेरजी हिलोरे लेती रहेगी
-विज्ञान यह है जिसे आप मन में देख रहें है उसी से एनेर्जी खींच रहें है ।
जब बुरे दिन आते हैं तो सब तरफ अंधेरा ही अंधेरा दिखता है, हर बोल उल्टा पड़ता है, भगवान पर संशय आने लगता है, रिश्तेदारों से भरोसा उठ जाता है, सब लोग हमारी छाया से डरने लगते है । क्या करें ?
-एक विधि यह है
-अपने मन में वह देखो जो आप के खाने पीने की चीजे है ।
-धोई दाल, छिलका दाल, मसूर की दाल या कोई अन्य दाल देखते रहेँ ।
-हल्दी, अजवायन, जीरा, काली मिर्च, लाल मिर्च, हरी मिर्च, गर्म मसाला या कोई और मसाला देखते रहे ।
-गेहू का आटा , चने का आटा, ज्वार का आटा, बाजारे का आटा या कोई और आटा देखते रहो !
हम सभी को विपरीत परिस्थिया एक चेलेंज के रूप में कभी ना कभी आती हैं । हमारी विचार धारा छिन्न भिन्न हो जाती है । ऐसी दशा में क्या करें ?
-अपने मन में सदैव कोमल शब्द याद रखे ।
-मधुर, कल्याणकारी, सहयोगी, खुश, नम्रचित, स्नेही, हर्षित मुख, सुखी, आनंद, मौज, कोमल, साफदिल, मिलनसार, शांत, प्रेम, खुशहाली, सकून, शानदार, लाजवाब, सुन्दर, श्रेष्ट, बढ़िया, बेमिसाल, मान, सम्मान, उमंग, उत्साह, चुस्त, स्मार्ट, सुन्दर, अतीइण्द्रीय सुख ईमानदार, वफादार, योग्य, कमाल है, गर्व है, जीतूगा, धन्यवाद आदि आदि ।
-इन में से कोई न कोई कोमल शब्द मन में याद रखने और रिपीट करने से मन में शान्ति रहेगी और शरीर निरोगी रहेगा ।
-कोई भी कठोर शब्द बोलने व रिपीट करने से मन में अशांति बनी रहती है ।
-किसी भी रोग का कारण कोई न कोई कठोर शब्द है जो मन में काफी लंबे समय से आप ने पाल कर रखा है ।
-सदैव सुन्दर और कोमल शब्द मन में रखें ।
प्रश्न – 4 : मुझे रात को नींद नहीं आती, मैं क्या करूं ?
उत्तर : बिस्तर पर लेट जाएँ ।
-सांस को रोक ले जितनी देर तक रोक सकते हैं, फिर सांस ले लेवे । उसके बाद फिर सांस रोके और छोड़े ।
-ऐसा करते समय मन में कहते रहें, मैं शांत हूं शांत हूं ।
– कुछ देर में नींद आ जाएगी ।
-अगर सांस नहीं रोक सकते हैं तॊ धीरे धीरे और लम्बे लंबे सांस लेते हुए कहते रहें मैं शांत हूं शांत हूं ।
अगर आप योगी हैं तॊ शिव बाबा या इष्ट को सामने देखते हुए और सांस रोके हुए कहते रहें परमात्मा आप शांति के सागर हैं, शांति के सागर हैं ।
-आप क़ी नीद न आनें क़ी समस्या खत्म हो जाएगी ।
प्रश्न – 5 : मन निराश रहता हैं, क्या करूं ?
उत्तर : निराशा का कारण हैंः
-कमजोरी
-शरीरिक या मानसिक कमजोरी या दोनो ।
-कोई व्यक्ति हमारे से निराश हो तब भी निराशा आती हैं
– हर पल विरोध, ताने, टोका टोक़ी, किसी क़ी उपेक्षा से भी निराश आती हैंः
-फास्ट फूड त्याग दें इस से पर्याप्त शक्ति नहीं मिलती जिस से निराशा आती हैं ।
-उत्साह पर बुक्स पढ़ो ।
-एक शब्द मन में दोहराते रहो मैं चुस्त हूं चुस्त हूं । आप क़ी निराश भाग जाएगी ।
-उत्साह वाले गीत सुना करो ।
-बाबा को सामने देखते हुए चन्द्रमा को कहते रहो आप प्यार के सागर हैं ।
प्रश्न – 6 : मेरे विवाहित जीवन में बहुत कष्ट है । मैं अति प्रभावशाली कैसे बन सकता/सकती हू ?
उत्तर : कोई भी कष्ट है उसका मूल कारण है, कमजोरी ।
-तन की कमजोरी या मन की कमजोरी ।
-कभी यह न सोचें की यह आप का हिसाब किताब है या आप के कोई पाप कर्म है ।
-कष्ट का मतलब है प्यार की कमी ।
-जिन लोगो को आप से प्यार करना चाहिए वह लोग आप को प्यार नहीं कर रहे हैं ।
-आप को अपना स्वभाव ऐसा बनाना होगा जो सकारात्मक विचार उत्पन्न हो ।
-नकरात्मक विचारो से बचे ।
-हर समय स्नेही या ऐसे लोग जिनका हमारे से कुछ लेना देना नहीं है परन्तु वह जानते है । उनको मन से कहते रहो आप स्नेही है । ऐसा करने से आप को स्नेह मिलने लगेगा।
-तन और मन की कमजोरी दूर करने लिए संबंधित बुक्स पढ़ो ।
-जितना ज्यादा कष्ट उतना ही ज्यादा पढ़े ।
प्रश्न – 7 : मैं कोई भी काम मरे मन से करता/करती हूं । काम टालने की कोशिश रहती है ? मैं लगन से कार्य कैसे करू ?
उतर : आप डाकिए हैं, नाई हैं, बीमा एजेंट हैं, ग्रहणी हैं, विद्यार्थी है, कर्मचारी हैं या योगी हैं ।
-जब तक आप महसूस करते हैं कि आप दूसरों की सेवा कर रहें हैं तब तक आप काम बहुत अच्छी तरह करते हैं ।
-जब आप सिर्फ अपनी मदद करने के लिए कार्य करते हैं तो आप काम को कम अच्छी तरह से करते हैं ।
-मंदिर में महिलाए सारा दिन लंगर बनाती हैं तो वह बहुत खुश रहती हैं, शाम को घर की रोटी बनाते समय उन्हे सिरदर्द हो जाता है ।
-सेवा का नियम उतना ही अटल है जितना गुरुत्वाकर्षण का नियम ।
-इसलिए प्रत्येक कार्य करते हुए मंसा सेवा करते रहो तो आप में कार्य के प्रति उत्साह बना रहेगा । आप सभी कार्य खुशी खुशी करेंगे ।
प्रश्न – 8 : जीवन में बहुत विपत्तियां और संकट हैं । उन्हे कैसे जीतू ?
उतर : संकट अर्थात भगवान आप को बुद्विमान बनाना चाहता है ।
-चोट सह कर मनुष्य साहसी और बलवान बनता है ।
– परिस्थियों से तप कर मनुष्य सोने की तरह चमकने लगता है ।
-हथियार की धार पत्थर पर घिसने से तेज होती है ।
-खराद पर चढ़ाने से हीरे में चमक आती हैं ।
-बिना थपकी के ढोल नहीं बजता
-कष्टों से सोई हुई शक्तियों जागती हैं ।
-भगवान जब किसी को महान बनाता है तो उन्हे इन हालातों से गुजरना पड़ता है ।
-सूझ बूझ और मेहनत से अपने लक्ष्य पर लगे रहें ।
-जान बूझ कर गलती नहीं करनी, अनजाने में कोई गलती हो जाती हैं तो आप को कोई दंडित नहीं करेगा ।
-किसी का आर्थिक नुकसान नहीं करना चाहे कोई कितना भी विरूद्ध हो ।
-जितनी ज्यादा कठिनाई हो उतना ही ज्यादा उस से संबंधित बुक्स पढ़ा करो ।
-काम नहीं छोड़ना ।
-जिन लोगो से समस्या हैं उन्हे मुख से कम, मन से ज्यादा समझाना हैं ।
-जीत बूंद बूंद पानी की ही होती हैं आग चाहे कितनी भयानक हो ।
– जितना ज्यादा योग लगाएंगे संकट सूली से कांटा बन जाएंगे ।
प्रश्न – 9 : लोगो के जीवन में बहुत कष्ट हैं, बहुत लचार हैं, इन से उन्हे मुक्त करने के लिए मैं क्या करू ? मेरा क्या कर्तव्य हैं ।
उतर : आप का कर्तव्य हैं अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित करें ।
-ज्ञान का अधिक से अधिक संचय करें ।
-मानव जाती के कष्टों का कारण अज्ञान हैं ।
-लोगो को कष्ट में देख कर हम बेचारा बेचारा कह कर रह जाते हैं ।
-इस से वह और कमजोर हो जाते हैं ।
-जैसे ही किसी को कष्ट में देखो । तुरंत आप गहरे योग में चले जाओ और उसे मन में कहते रहो आप शांत हो, स्नेही हो, सर्वगुण संपन्न हो । इस से उसे बल मिलेगा और वह कष्ट से बाहर आ जाएगा ।
-उन्हे ज्यादा समझाया नहीं करो उन के लिए बिना कहें आप गहरा योग लगया करो ।
प्रश्न – 10 : मुझे नीच और हीनता के विचार बहुत आतें हैं । अपनी सोच कैसे बदलू ?
उतर : आप का मन आप के हर शब्द को सुनता हैं ।
-फिर आप चुंबक की तरह उन्ही घटनाओ और परिस्थियों को आकर्षित करेंगे जो आप के विचारो के अनुरूप होंगी ।
-हर दिन सकारात्मक मनोबल बढ़ाने वाला सहित्य पढ़े ।
-हर दिन प्रेरक ऑडियो, केसेट या सी.डी . सुने ।
-लोग अक्सर अपने बारे कहते रहते हैं मैं आलसी हू, क्रोधी हू, गरीब हू, कमजोर हू, मेरी शक्ल अच्छी नहीं हैं ।
-अपने बारे में कभी भी नेगेटिव न बोले और न ही सोचें ।
-अगर आप अपनी तारीफ करेंगे तो लोग कहेंगे आप मियां मुंह मिठु हो ।
-अगर अपने अवगुण बताएंगे तो लोग सच मानेगे और आप की बातो से ही आप को नीचा दिखाएंगे ।
-कोई आप के बारे नकारात्मक बोलता है उस के सामने खड़े हो कर स्वीकर नहीं करना । उसे कहो आप को गलतफहमी हैं । वहां से भाग जाये ।
-जो लोग आप को पुचकारते हैं, शाबास देते हैं, आगे बढ़ाते हैं, सहयोग देते हैं, आप को अच्छे शब्दो से संबोधित करते हैं, ऐसे लोगो के नजदीक रहो ।
-महापुर्षो की शिक्षाएं और जीवनी पढ़ा करो ।
प्रश्न – 11 : मैं सब का भला सोचता हूं, भलाई करता हूं फिर भी मेरी घर, दफ्तर, कार्यस्थल और धार्मिक स्थल पर मुखिया से अनबन बनीं रहती हैंं । इस मेंं क्या कल्याण है ?
उतर : अनबन क़ी परिस्थिति इस लिये आती हैंं क्योंकि भगवान आप को उन लोगों से महान बनाना चाहता हैंं ।
-भगवान आप को प्रशिक्षण दे रहा है
-सब से बड़ा प्रशिक्षण है धीरज का
-ये लोग आप से खोज करवाते है
-ये लोग आप से मनन करवाते हैंं
-कुछ जगह पर आप मनमानी करते हैंं और आप को मालूम ही नहीं होता । वे लोग आप को आप का दर्शन करवाते हैंं
प्रश्न – 12 : मेरे जीवन में क्लेश ही क्लेश है, मैं मेरी दुनिया में परिवर्तन लाना चाहती हूँ / चाहता हूँ, क्या करूँ?
उतर : हम जो मांगते है या चाहते है प्रेमपूर्ण सृष्टि उसके लिए हमेशा हां करती है ।
-सृष्टि मां की तरह है । मां बच्चे का कभी अहित नहीं करती ।
-बच्चा अपनी नासमझी के कारण कष्ट उठाता है । उसे ज्ञान नहीं होता । इसलिए सांप को पकड़ लेता है । अंगारा मुह में डाल लेता है और दुख पाता है ।
-हमारे क्लेषो और दुखो का कारण ज्ञान की कमी है ।
-क्लेषो को अपने पापकर्म नहीं समझना जी । आप सर्वगुण संपन्न है ।
-आकर्षण के नियम को समझो । इस पर पुस्तके पढ़ो ।
-शर्त रहित प्रेम बांटो ।
-मन और शरीर एक दूसरे से जुड़े हुए है ।
प्रश्न – 13 : मुझे तन , मन, धन और संबंधो से बहुत समस्याए हैं । योग भी नहीं लगता । कुछ ऐसी भी समस्याए है जो किसी को बताते हुए शर्म आती है । समझ नहीं आता क्या करूं ? मैं अपना जीवन कैसे बदलू ?
उत्तर : सही समय पर सही पुस्तक पढ़ने से आप का जीवन बदल सकता है ।
-अध्ययन में आपकी क्षमताएं उभारने का जितना सामर्थ्य है, उतना किसी अन्य गतिविधि में नहीं है ।
-जब भी अच्छी पुस्तक पढ़ते हैं, हमे कायाकल्प करने वाली किसी अंजान शक्ति का अहसास होता है ।
-अध्ययन हमे जितना बदलता और बेहतर बनाता है उतना अन्य कोई मानसिक गतिविधि नहीं बना सकती ।
-कोई महान पुस्तक पढ़ना, जीने का बेहतर तरीका सीखना है ।
-पढ़ने से सब समस्याए बदल जाती है ।
-पढ़ने से हमारे मस्तिष्क की आकृति बदल जाती है ।
-आप अभी कोई पुस्तक उठाए , उसे खोलें और पढ़ना शुरू कर दें .. ताकि आप ऐसे मायनो में प्रगति कर सके, जिनकी आप ने कभी कल्पना भी नहीं की थी ।
-अव्यक्त मुरली की बुक्स सब से उत्तम है ।
-20 पेज हर रोज पढ़ो आप के जीवन में हर प्रकार की नियामतें आ जाएगी ।
-जब भी कोई भी समस्या आये तुरंत पढ़ना शुरू कर दो ।
-जितनी ज्यादा समस्याए हो उतना ही ज्यादा पुस्तके पढ़ा करो ।
प्रश्न – 14 : दोष देने क़ी आदत क्या हैं और क्यों होती हैं ?
उत्तर : जब हम मनचाहे लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाते हैं तॊ दूसरों को दोष देते रहते हैं ।
-हम अपने माता पिता, अपने अफसरों, अपने दोस्तो, अपने साथ काम करने वालों, अपने ग्राहको, अपने जीवन साथियो, मौसम’, अर्थ व्यवस्था, पैसे क़ी कमी को, सरकार को या भगवान को दोष देने लगते हैं ।
-क्या अपने कभी किसी को गुरुत्वाकर्षण को दोष देते सुना है ।
-जिस बुजर्ग क़ी कमर मुड़ गई हैं उसे सड़क पर चलते गुरुत्वाकर्षण क़ी शिकायत करते कभी सुना है ।
-लोग सीढ़ियो से गिर जाते है, हवाई जहाज गिर जाते है , हमारे हाथ से गिरी प्लेटें और कप टूट जाते है, क्या हम कभी गुरुत्वाकर्षण को दोष देते है ।
-गुरुत्वाकर्षण का कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता इसलिए उसे हम स्वीकर करते है ।
-हम गुरुत्वाकर्षण को अपने लाभ के लिये प्रयोग करते है ।
-जिन परिस्थितियो क़ी आप शिकायत करते है वह गुरुत्वाकर्षण के बल का परिवर्तित रूप है ।
-आप इनसे लाभ उठाने क़ी विधि सोचो ।
-आप बेहतर नौकरी पा सकते है ।
-ज़्यादा प्रेम करने वाले लोग पा सकते है ।
-बेहतर घर मेंं रह सकते है ।
-उम्दा पड़ोस वाले मोहले मेंं जा कर रह सकते है ।
-इन सब चीजो को हासिल करने के लिये आप को बदलना होगा ।
-जब भी कोई समस्या आएं अव्यक्त मुरली या अन्य साकारात्मक बुक्स पढ़ो । हर रोज 20 पेज हर रोज पढ़ने से आप प्रत्येक समस्या का लाभ उठा सकेगे ।
– दबाव का सामना करने के लिये ‘ ना ‘ कह सकते है ।
-फिर से लौकिक पढ़ाई कर सकते है ।
-दूसरों से मदद मांग सकते है ।
-आवश्यक प्रशिक्षण ले सकते है ।
-राजयोग या कोई अन्य योग मन को शांत करने के लिये सीख सकते है ।
-विपरीत लोगों पर नहीं स्नेही व्यक्तियों को मन से देखते रहो उन्हे स्नेह की तरंगे देते रहो । मन से किसी का नुकसान नहीं करना ।
प्रश्न – 15 : महान नेता कौन कैसा होता हैं ?
उत्तर : महान लीडर्स वह नहीं होते जो सारा दिन लोगों से घिरे रहते हैं ।
-महान वह होते है जो काफी समय अकेले मेंं बिताते हैं और चिंतन के इलावा कुछ नहीं करते ।
-जो लोग हरेक आदमी से अलग अलग विषयो पर बातें करते रहते हैं, दूसरों पर हकूमत करते रहते है और हर छोटी से छोटी चीज के प्रबंधन मेंं लगे रहते हैं वह महान नहीं बन सकते ।
-अच्छी यूनिवर्सिटीज अपने प्रोफेसरस से सप्ताह मेंं सिर्फ पांच लेकचर करवाती हैं ताकि बाकी समय मेंं प्रोफेसरस अपने विषय पर और नया पढ और सोच सके ।
– लगभग 99% लोग ऐसा नहीं करते । वह नया नहीं पढ़ते और न ही नया सोचते हैं ।
-अगर आप महान बनना चाहते हैं और संसार को स्वर्ग बनाना चाहते हैं तॊ हर रोज कम से कम 20 पेज नया पढे और सोचे ।
-ऐसा इसलिए करना हैं क्योंकि नेतृत्व क़ी शुरुआत व्यक्तिगत स्तर से शुरू होती है ।
-क्रोध और प्रार्थना की मुद्रा
-जब भी किसी कारण से मन परेशान हो बहुत क्रोध आ रहा हो
-तब मन में और अगर हो सके तो स्थूल में दोनो हाथ जोड़ कर प्रार्थना की मुद्रा में खड़े हो जाये
-अपने सामने शिव बाबा या इष्ट को देख कर कहते रहे आप शान्ति और प्यार के सागर है ।
-आप का क्रोध कम होने लगेगा ।
-जब तक क्रोध कम नहीं होता तब तक मन में यही मुद्रा चलते फिरते बनाये बनाये रखे ।
प्रश्न – 16 : कार्य करने को मन नहीं करता क्यों ?
उत्तर : काफी लोग सोचते बहुत हैं, बोलते बहुत है, वायदे बहुत करते हैं परन्तु उसे कर्म में नहीं ला पाते ।
-कार्य करने को मन ही नहीं होता ।
-उन्हे कोई भी काम कह दो, वह कहेंगे कल करेंग, परसो करेंगे, फिर करेंगे । अनेको बहाने बनाते रहते हैं ।
-उनमे विल पावर की कमी होती हैं ।
-बोल को कर्म में लाने के लिए क्या करें ?
-कर्म का संबंध सूर्य से होता है ।
-कल्पना में अपने सामने सूर्य को देखो ।
-सूर्य और अपने बीच भगवान के बिन्दू रूप को देखो या अपने इष्ट को देखो ।
-भगवान और सूर्य को देखते हुए कहते रहो आप प्यार के सागर हैं प्यार के सागर हैं ।
-कुछ ही दिनो या महीनो के अभ्यास करने से आप का दिल करेगा कि काम करू और आप कार्य करने लगेगे और बहाने नहीं बनाएंगे ।
प्रश्न – 17 : ‘ नहीं ‘ शब्द का प्रयोग कब करें ?
उतर : उस दोस्त को नहीं कहें जो सिर्फ गपछप करने के लिए काफी पर मिलना चाहता है ।
-उन रिश्तेदारों को नहीं कहें जो आप के सपनो पर हंसते हैं और आप को खुद पर शक पैदा करने के लिए बाध्य करते हैं ।
प्रश्न – 18 : मेरा घर में, दफ्तर में और संस्था में क्रोधी बॉस से वास्ता है ? उनके प्रकोप से अपने को कैसे बचाऊ ?
उतर : जब क्रोध भरे वातवरण से चुपचाप दम साधे आप बाहर निकल जाते है तो
-क्रोध करने वाले व्यक्ति को जितना खेद होता है
-वह जितनी ग्लानि अनुभव करता है , उसे
-उसके मन के सिवा कोई दूसरा व्यक्ति नहीं जान सकता ।
-उसके आगे से हट जाओ और तब तक सामने नहीं आना जब तक उसका और आप का गुस्सा ठंडा न हो जाये ।
प्रश्न – 19 : तुरंत शब्द का महत्व क्या हैं ?
उत्तर : अगर अच्छे संकल्पों पर तुरंत अमल नहीं करता तो वह बाद में भी उन पर काम नहीं कर सकता
-क्योकि संकल्प धीरे धीरे समय की धारा में बह जाते है ।
-हवा में खो जाते हैं ।
-या गुमनाम हो जाते हैं ।
-अपने दिल पर लिख लो आज का दिन साल का सर्वोतम दिन है ।
प्रश्न – 20 : अतीन्द्रिय सुख क्या हैं ?
उत्तर : अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करने के लिए 20 पेज अव्यक्त मुरली या अन्य किसी सकारत्मक पुस्तक के हर रोज जीवन भर पढ़ने हैं ।
-चाहे कितना भी व्यस्त हो रात को सोने से पहले एक पेज जरूर पढ़ना है ।
-जिस दिन आप ने नहीं पढ़ा है समझो आज थोड़ा सा मेरा पतन हो गया है ।
प्रश्न – 21 : थकावट का हमारे शरीर पर प्रभाव ?
उत्तर : थकावट शरीर और मन को प्रभावित करती है ।
-यदि थकावट का कारण नींद पूरी न होना है तॊ पहले नींद पूरी करें ।
यदि कार्य दिवसो पर नींद पूरी नहीं होती तॊ छुटी वाले दिन भरपूर नींद लो ।
-व्यायाम क़ी कमी के कारण थकान है तॊ सैर आरम्भ कर दो ।
-काम काज के दौरान लोगों से मिली अप्रिय तरंगे भी हमें थका देती है ।
-थकावट से मन क़ी ट्यूनिंग बिगड़ जाती है जिस से हम नकारात्मक संकल्प और नकारात्मक आत्माओ को आकर्षित करते है ।
-इस थकावटको उतारने के लिये भरपूर नींद ले ।
-एनेर्जी का मुख्य केन्द्र पेट के निचले हिस्से मेंं होता है ।
-जब बहुत थकावट हों तॊ लम्बे लम्बे और धीरे धीरे सांस लेते हुए बाबा को याद करें । सांस द्वारा योग क़ी शक्ति ऊर्जा केन्द्र को एक्टिवेट कर देती है ।
-जितना योग मेंं रहेगे तन, मन क़ी थकावट नहीं होगी ।
प्रश्न – 22 : राहू की दशा के प्रभाव और दूर करने के क्या उपाय क्या हैं ?
उत्तर : जब कभी आप के मन में विपरीत लिंग के लोगो से नाजायज संबंध बनाने के विचार आने लगे या खिंचाव होने लगे तो सावधान हो जाओ यह राहू का प्रभाव है ।
-अगर राहू के शिकंजे में आ गये ।
-अगर आप योगी है तो आप का योग टूट जएगा,आप भटक जाएंगे ।
-अगर आप विद्यार्थी है तो आप पढ़ाई से भटक जाएंगे ।
-अगर आप ग्रहस्थ में है तो आप का परिवार चौपट हो जाएगा ।
-अगर आप नौकरी में है तो नौकरी में तरक्की रुक जाएगी
-ऐसे लोगो की आर्थिक स्थिति कभी अच्छी नहीं रहती ।
– अपना मन तुरंत विपरीत लिंग से हटा ले ।
-अगर आप पुरुष है तो मन में किसी अपनी पसंद के पुरुष को देखा करो ।
-अगर आप स्त्रीलिंग है तो किसी मन पसंद स्त्री को मन में देखो ।
-मन में भगवान या इष्ट को देखो उसे याद करो आप शान्ति के सागर है, शान्ति के सागर है ।
-बुजुर्ग लोगो से प्यार रखो वह तुम्हे अच्छी राय देंगे ।
-कभी हम उम्र से राय नहीं लेनी ।
-धीरे धीरे और लंबे से लंबे सांस लो और भगवान को याद करो आप शान्ति के सागर हैं।
-अगर संकल्पों का तूफान है तो जितनी देर हो सके सांस रोको और मन में कहो मै शांत हूँ शांत हूँ । फिर सांस ले लो । फिर सांस रोको और यही अभ्यास करो । अगर जगह है तो घर में इधर उधर टहलते रहो और मन से यही अभ्यास करते रहो ।
-ये अभ्यास करते समय भगवान के गुणो का सिमरन भी कर सकते है ।
-कैसी भी भयानक तरंग हो वह 5-7 मिनिट में खत्म हो जाएगी ।
प्रश्न – 23 : मन अशांत है क्या करे ?
उत्तर : क्या किन्ही कारणो से मन अशांत है, बहुत भटकन है, मन टिकता नहीं, पढ़ाई व योग में एकाग्र नहीं होता, हर समय निराशा रहती है, तनाव रहता है ?
– मन का संबंध चन्द्रमा से है ।
-कल्पना में चन्द्रमा को देखे ।
-चन्द्रमा और अपने बीच शिव बाबा या अपने इष्ट को देखे और भगवान को कहते रहे आप प्यार के सागर है ।
-या
-चन्द्रमा को कल्पना में देखते रहे और कहते रहे आप कितने शीतल है ।
-या
-हर समय संगीत या भजन जिस में मधुरता हो सुनते रहा करो ।
-उदासी वाला संगीत नहीं सुनना ।
-तथा
-धीरे धीरे और लंबे लंबे सांस लेते हुए चन्द्रमा वाला अभ्यास करते रहो ।
-विरोधी व्यक्तियों के बजाय स्नेही आत्माओ को मन में देखते रहा करो ।
-ज्यादा से ज्यादा अव्यक्त मुरली की बुक या कोई और सकारात्मक बुक पढ़ते रहो चाहे समझ आए चाहे न आए, बस पढ़ते जाओ ।
-अगर आप विद्यार्थी है तो हर विषय लिख लिख कर याद करो ।
-मन की निराशा खत्म हो जाएगी
प्रश्न – 24 : मानसिक शान्ति कैसे पायें ?
उत्तर : जब कभी आप दूसरों के व्यवहार को ले कर चिंतित, तकलीफ में या यहां तक कि थोड़ी सी उलझन में हो ।
-ये लोग ससुराल वाले, भूतपूर्व पति पत्नी, झगड़ालु सहकर्मी, परिवार के सदस्य. अड़ोसी पड़ोसी या कोई और भी हो सकते है जहां आप का वास्ता पड़ता है ।
-उस व्यक्ति या व्यक्तियो से ध्यान हटा लीजिए
-जिनको आप अपनी आंतरिक पीड़ा के लिये जुमेवार ठहराते है
-आप मन में शिव बाबा, इष्ट या स्नेही व्यक्ति को देखने लग जाये और कहते रहे परमात्मा आप शान्ति के सागर है प्रेम के सागर है ।
-आप किसी बगीचे या किसी हरियाली वाले स्थान या कोई फूल मन में देखते रहे ।
-आप कि मानसिक शान्ति भंग नहीं होगी ।
प्रश्न – 25 : प्रेम क्या हैं ?
उत्तर : हमारे विचारो और कर्मों द्वारा सूक्ष्म तरंगे उत्पन्न होती हैं ।
-जो बेहद महीन यात्रा करते हुए दूसरे तक पहुंच जाती हैं ।
-जब हम किसी से प्रेम करते हैं तो देर सवेर वह भावना को भांपने में कामयाब हो जाता है ।
-परमात्म प्रेम मन को परिष्कृत और पवित्र करता है ।
-हमे ऊंच सोपानों तक ले जाता है ।
-परमात्मा से प्रेम किया सकता है उसे लिखा नहीं जा सकता ।
-परमात्म प्रेम दिव्य होता है और मन का दिव्यीकरण कर देता है ।
प्रश्न – 26 : चुम्बकीय प्रभाव क्या हैं ?
उत्तर : चुम्बक लोहे को बिना किसी प्रयास के अपनी ओर खींच लेता है ।
-पृथ्वी का चुम्बकीय बल प्रत्येक व्यक्ति, वस्तु, जीव और निर्जीव को हर पल अपनी ओर खींच रहा है ।
-अगर मन शांत रहे तो आप में अथाह चुम्बकीय बल पैदा होगा जिस से जो भी व्यक्ति आप के सम्पर्क में आएगा उसके रोग ठीक होने लगेगे, उसके मन को चैन मिलेगा और आप को पता भी नहीं होगा ।
-हर पल भगवान के बिन्दू रूप को देखते हुए सिमरन करते रहो भगवान आप शान्ति के सागर हैं ।