आंतरिक बल 728
-बच्चों के प्रति व्यवहार में आत्म गौरव का भाव रखें ।
-हमें पता होना चाहिये कि बच्चे में खूबियों कैसे विकसित की जाती हैँ
-बच्चे में आत्म गौरव तब पैदा होता है जब हम बच्चे क़ी बात को सुनते हैँ ।
-आज अभिभावक जरूरत से ज़्यादा व्यस्त हैँ ।
-अधिकतर पिता अपने बच्चों को सार्थक चर्चा के लिये प्रतिदिन मात्र 40 सेकेंड देते हैँ ।
-यदि आज हम उनके के लिये समय नहीं रखेगे तो एक दिन जब हम सुनना चाहेगे तो शायद हमारे बच्चों के पास हम से बात करने का वक्त भी नहीं होगा ।
-बच्चों को केवल सुना ही नहीं बल्कि प्यार से निहारा भी जाना चाहिये ।
-दूसरा बच्चों के प्रति हमेशा आदर का रवेया रखना चाहिये ।
-आदर अर्थात उसके सामर्थ्य में यकीन रखना ।
-आदर अर्थात अपने बच्चे में सकारत्मक मानसिक दृष्टिकोण का विकास करना है ।
-बच्चे जिस चीज के बारे सर्वाधिक सोचते हैँ उस जैसे हो जाते हैँ ।
– नकारात्मक चिंतन व नकारात्मक टिप्णियों से बच्चा बीमार हो जाता हैँ और अवसाद में चला जाता हैँ ।
-तुम चाहे कितनी मेहनत कर लो सफल होना मुश्किल है । यह नकारात्मक टिपणी है ।
-सकारात्मक टिप्णियों से बच्चा तीव्रता से जीवन में आगे बढ़ता है ।
-सफलता तुम्हारा जन्म सिद्व अधिकार है । यह साकारात्मक टिपणी है ।
-किसी बच्चे क़ी सराहना करना सब से शक्तिशाली टिपणी है ।
-शाबाश कहना सबसे बेस्ट सराहना है ।
-अपने बच्चों क़ी हर रोज किसी ना किसी बात पर सराहना जरूर करनी चाहिये । ऐसा करने से बच्चा साकारात्मक कर्म करेगा और तुम्हरे लिये समस्या नहीं रहेगी ।
-प्रोत्साहन से भी बच्चे में आत्म गौरव बढता है ।
-बच्चे को कहें आपका समस्या हल करने का तरीका अच्छा लगा ।
-तुम अपने गुस्से पर काबू पाना सीख रहें हो ।
-कुश्ती में प्रतिस्पर्धी को चकमा देना सीख लिया है ।
-यह गणित मुश्किल था मुझे खुशी है कि तुम ने कई सवाल हल कर लिये ।
-आधा होम वर्क करने पर ही मां कहे तुम बुद्विमान हो तो बच्चा सोचेगा -यदि यह बुद्विवान का पैमाना है तो मै इस से कम मेहनत करके भी काम चला सकता हूं । ये प्रोत्साहन नहीं है ।
-होम वर्क में बच्चे से पूछे गये हर सवाल का जवाब देना भी गलत फहमी है कि आप बच्चे को प्रोत्साहन दे रहे
हैँ ।
-प्रोत्साहन अर्थात विपरीत परिस्थितयो से निपटने के लिये उसमे विश्वास पैदा करना ।
-बच्चे द्वारा नई चुनौतिया का सामना करते समय उसके प्रति समर्थन और विश्वास दर्शाना प्रोत्साहन है ।
-बच्चा असफल हो जाए तो उसे समर्थन देवे कि वह महत्वपूर्ण है उसका प्रदर्शन नहीं ।
-तुम्हारे पास काबलियत है इसे जारी रखो ।
-अगर आप मुख से बच्चे के लिये अच्छा नहीं बोल सकते है तो चुप रहो और बिंदु परमात्मा को देखतें हुए मन में बच्चे के प्रति कोई ना कोई श्रेष्ट भाव रखें । आप के श्रेष्ट भाव बच्चे का आत्म गौरव बढ़ाएंगे ।
-यही नियम राजयोग के विद्यार्थिओं पर भी लागू होता है ।
Bahut Accha Gyan Kripya dete rahain or Jeewan ki Sahi raah Hume dikhate rahain