आंतरिक बल 726
-बच्चे और व्यवहार
-बच्चे एक बेल के पौधे के समान है । बेल की जितनी देखभाल की जाती है वह उतनी ही फलती फूलती है और उसी दिशा में बढ़ती जाती है जिस दिशा में उसे बढ़ाना चाहते है ।
-धन दौलत व अन्य साधन विश्व के सभी लोगो के पास भिन्न भिन्न है । इसलिए बच्चों को धन आदि की सहायता हर मां बाप अपनी यथा शक्ति अनुसार दें सकते है ।
-भगवान ने एक शक्ति सभी मनुष्यो को बराबर दें रखी है । वह शक्ति है मन की शक्ति । मन के द्वारा हम जो चाहते है वैसा ही बच्चे को बना सकते है ।
-12 वर्ष तक बच्चा मां बाप के मन की बात सुनता है । आप जो सोचते है बच्चा वैसा ही करता है ।
-अगर आप चाहते है क़ि आप का बच्चा डॉक्टर बने तो आप मन में उसके प्रति सोचते रहो आप डॉक्टर बनेगे । आप को मेडिकल के सारे विषय अच्छी तरह समझ आते है ।
-आप चाहते है कि आप का बच्चा वकील बने, ऑफीसर बने, बिजनेसमेन बने, साधक बने, समाज सेवक बने या राज नेता बने ।
-मां बाप को और खासतौर पर मां को बच्चे के प्रति हर रोज सोचना है कि मेरा बच्चा ऐसा बनेगा । मुख से नहीं सिर्फ मन में बोलना है ।
-अगर आप मुख से बोलते है क़ि मेरा बच्चा ऐसा बनेगा तो दूसरे लोग बच्चे के प्रति उल्टा सोचने लगते है जिस से हमारी मानसिक एनेर्जी कटने लगती है ।
-कई बार बच्चा हमारे बोल को पकड़ लेता है कि मै ऐसा बनूंगा क्योकि मां बाप कह रहें है और वह मेहनत नहीं करता ।
-इसलिए मुंह से बहुत कम मन से ज्यादा बोलना चाहिये ।
-मन के द्वारा आप का व्यवहार बच्चे को दिशा देता है ।
-हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि उसका बच्चा सबके सामने अदब से पेश आए। आप मन में बच्चे के प्रति सोचते रहो आप सब से तहजीब से बोलते है । उस में यह गुण आ जाएगा ।
-किसी मेहमान के सामने बच्चा अगर कोई गलती कर देता है या फिर कोई ऐसी बात कह देता है जो आपको पसंद नहीं है तो डांटने की गलती न करें। मुख से या मन से उसे कहो ये बात ऐसे कहते है या यह काम ऐसे करते है । वह धीरे धीरे ऐसे ही बेस्ट व्यवहार करने लगेगा ।
– अपने मन में बिंदु रूप शिव बाबा या ब्रह्मा बाबा या अपने इष्ट को देखते हुए कहे परमात्मा आप ज्ञान के सागर है । ऐसा अभ्यास करने से भगवान की शक्ति से बच्चा अपने विषयो में ज्ञान का स्वरूप बन जाएगा और अपने क्षेत्र में तीव्र गति से बढ़ेगा ।
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You are most welcome rahul ji