आंतरिक बल 729
-बालको की उन्नति और व्यवहार
-आज का बालक ही अगली पीढ़ी का स्वामी है ।
-आज की बालिका अगली पीढ़ी की मां बनेगी ।
-बच्चे भगवान की नई प्लेनिंग है ।
– इसलिए बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार करना है ताकि उन में दिव्य गुणो का विकास हो ।
-बच्चे जैसा देखते, सुनते और पुस्तके पढ़ते है वैसा ही बनते है ।
-घर, विद्यालय और समाज बच्चों को बनाते और बिगड़ते है ।
-जिस घर में हर समय लड़ाई झगड़ा, गाली गलौच, ईर्ष्या द्वेष लगे रहते है ।
-जिस घर में बीड़ी सिगरेट, शराब अन्य मादक पदार्थो का सेवन होता है ।
-जिस घर में अनुशासनहीनता, चरित्रहीनता , झूठ , हिंसा और गाली गलौच का तांडव है ।
-जिस घर में क्षमा, संतोष और प्यार का अभाव है ।
-उस घर में बच्चों का भविष्य उज्जवल होने की सम्भावना बहुत कम होती है ।
-घर के छोटे बड़े लोगो के व्यवहार का असर बच्चों पर होता है ।
-ऐसे ही स्कूल, कॉलेज या विश्व विद्यालयो में भौतिक शिक्षा और धन कमाने की शिक्षा तो दी जाती है परन्तु चऱित्र को श्रेष्ट बनाने, दिव्य गुणो को जीवन में कैसे लायें तथा श्रेष्ट मां , बाप और नागरिक कैसे बने और श्रेष्ट व्यवहार कैसे करें इसकी शिक्षा नहीं दी जाती ।
-समाज में व्याप्त अच्छाई और बुराई का असर भी बच्चों पर पड़ता है । –
-समाज में व्याप्त अश्लील सिनेमा, अश्लील साहित्य, सोशल मीडिया में व्याप्त अश्लीलता और क्रूरता बच्चों के दिमाग को दूषित कर रहे है ।
-वर्तमान युग में मनुष्य सिर्फ पैसा कमाने के लिये निकृष्ट कृत्य करने से नहीं चूकता जिस से समाज में अत्याचार और अशांति फैल रही है ।
-ऐसी परिस्थितयो से बच्चों को बचाना हर मां बाप का कर्तव्य है ।
-इसके लिये क्या करें ?
-परिवार के सभी सदस्यो को और खासतौर पर मां बाप को 5 मिनट ब्रह्मा कुमरीज आश्रम या जो भी आप के नजदीक धार्मिक स्थान है वहां जरूर जाना चाहिए ।
-प्रत्येक व्यक्ति को कोई साकारात्मक बुक एक पेज हर रोज पढ़ना या सुनना चाहिए ।
-चाहे कैसा भी परिवार हो उसमे परिवर्तन आएगा ।
– प्रत्येक माता अपने बच्चों को कल्पना में देखे और बीच में शिव बाबा के बिंदु रूप या इष्ट को सामने देखते हुए, भगवान आप शांति और प्यार के सागर है इस का सिमरन करती रहे तो किसी भी वातावरण का असर बच्चों पर नहीं पड़ेगा और बच्चे अपने जीवन में महान बनेगे ।
-यह अभ्यास एक घंटा कम से कम जरूर करना है और तब तक करना है जब तक हम जीवित है ।
-इस अभ्यास से बहिनो की कोई भी तन, मन, धन और व्यवहार की समस्या भी खत्म होगी और बच्चे भी चरित्रवान और महान बनेगे ।
-अगर कल्पना में भगवान व बच्चों को नहीं देख सकते तो भगवान और बच्चों का फोटॊ सामने रख ले और भगवान के फोटो को कहें आप प्यार के सागर है ।
-ईथर के माध्यम से आप का मानसिक व्यवहार आप के बच्चों और आप स्वंय को बदल देगा ।
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