आंतरिक बल -721
-नाराजगी और व्यवहार
-नाराज़गी पालना ऐसा है मानो एक व्यक्ति खुद के गाल पर तमाचा मारता है और उम्मीद करता है कि दूसरे को दर्द होगा।
-परिवार के जिस सदस्य से आपकी नाराज़गी है, उस व्यक्ति को शायद आपकी नाराज़गी के बारे में पता ही न हो ।
-किसी के शब्दो और कार्यो की अपेक्षा नाराज़गी पालने से हमें ज़्यादा चोट पहुँचती है ।
-उस ने मुझे नाराज़ होने पर मजबूर किया है। इस का मतलब है कि हम चाहते हैं, दूसरे अपना व्यवहार बदलें मगर हकीकत यह है कि दूसरों का व्यवहार बदलना हमारे बस की बात नहीं।
-नाराज़गी पालना हर समस्या का हल नहीं है ।
-किसी बात की चर्चा बार बार करना परम मित्रों में भी फूट करा देती है।
-हर छोटी-छोटी गलती के बारे में बात करना ज़रूरी नहीं है।
-उस वक्त चर्चा कीजिए जब आपकी नाराजगी शांत हो जाए।
-जब किसी बात से चोट पहुँचती है तो पहले शांत होने की कोशिश करनी चाहिए ।
– जरा भी कोई परेशानी है, वह चाहे तन की हो, मन की हो, संबंध की हो या धन की हो, उसका कारण है कोई ना कोई मनुष्य आप से नाराज है । उसकी यह नाराजगी जब लम्बे समय तक चलती है तो हमारे जीवन में विभिन प्रकार की रुकावटें आती हैं ।
-जीवन में हम जिन लोगो को बोलने नहीं देते हैं, उन की बात नहीं सुनते हैं, सिर्फ अपने विचार थोपते हैं, कहते हैं यह हमारे घर के, हमारी संस्था के नियम हैं इसे फालो करो ।
– इस से उनकी बुद्वि विकसित नहीं होती । ये लोग हमारे से मन में नाराज रहते हैं । उनकी नाराजगी हमारे शरीर और दिमाग पर असर करती हैं ।
– इन लोगो की नाराजगी से गले के रोग, कान के रोग सताने लगते हैं, यादाश्त कमजोर होने लगती हैं तथा मां पक्ष के लोग मामा आदि से अनबन होने लगती है ।
-ऐसे लोगो की नाराजगी से गले, कान और दूसरे रोग उठ खड़े होते हैँ ।
-भगवान आप प्यार के सागर हैं इसे रिपीट करते हुए वर्णित लोगो को तरंगे देने से और उनकी बात सुनने से उनकी नाराजगी दूर हो जाती हैं और हमारे रोग ठीक हो जाते हैं ।
Muje ye gyan m ruchi h lekin m ise start se krna chahti hu.
hanji aap start se kar skti h aapka most welcome
kaise start se kare
I want to know about athmaik sthithi how to create deep silence